30 Days Festival Competition लेखनी कहानी -17-Oct-2022 हनुमान जन्मोत्सव (भाग 26 )
शीर्षक :- हनुमान जन्मोत्सव
हनुमान जन्मोत्सव चैत्र माह की पूर्णमासी को मनाया जात है। बहुत से लोग इसे हनुमान जयन्ती के नाम से पुकारते है जो गलत है क्योकि जयन्ती उनकी मनायी जाती जिनकी मृत्यु होती है परन्तु हनुमान जी परशुरामजी ये अमर है अतः हम इनका जन्मोत्सव मनाते है।
हनुमान जी श्रीराम व सीता के प्रिय रहे हैं। उनके जन्म के बिषय मे बहुत सी कथाऔ का वर्णन आता है उनमें से एक कथा निम्न प्रकार है।
इस कथा के अनुसार, एक बार महान ऋषि अंगिरा भगवान इंद्र के देवलोक में पहुंचे। वहाँ इंद्र ने पुंजिकस्थला नामक एक अप्सरा द्वारा एक नृत्य प्रदर्शन की व्यवस्था की, लेकिन ऋषि को अप्सरा के नृत्य में कोई दिलचस्पी नहीं थी इसलिए वे गहरे ध्यान में चले गए। अंत में जब उनसे अप्सरा के डांस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने ईमानदारी से कहा कि उन्हें डांस देखने में कोई दिलचस्पी नहीं है. यह सुनकर पुंजिकस्थल ऋषि पर क्रोधित हो गया। बदले में, ऋषि अंगिरा ने नर्तकी को श्राप दिया कि वह एक बंदर के रूप में पृथ्वी पर पैदा होगी।
इसके बाद पुंजिकस्थल ने ऋषि से क्षमा मांगी लेकिन ऋषि ने अपना श्राप वापस नहीं लिया। नर्तक दूसरे ऋषि के पास गया और ऋषि ने अप्सरा को आशीर्वाद दिया कि भगवान विष्णु का एक अवतार सतयुग में प्रकट होगा। इस प्रकार पुंजिकस्थला ने सतयुग में वानर राजा कुंजर की पुत्री अंजना के रूप में जन्म लिया और उनका विवाह एक वानर राजा कपिराज केसरी से हुआ, जिसके बाद दोनों से एक पुत्र हुआ, जिसे पराक्रमी हनुमान कहा जाता है।
भगवान शिव के 11वें अवतार माने जाने वाले हनुमान जी के जन्मदिन को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है, यह चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। हनुमान की माता का नाम अंजना और पिता का नाम केसरी है। बजरंगबली के जन्म के बारे में यह दिलचस्प कहानी है।
ज्योतिषियों की गणना के अनुसार बजरंगबली का जन्म 58 हजार 112 साल पहले चैत्र पूर्णिमा के दिन मंगलवार को सुबह 6 बजे चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न के योग में हुआ था। ऐसा कहा जाता है क जब महावीर का जन्म हुआ तो उनका शरीर वज्र के समान था।
हनुमान जी के जन्म से जुड़ी एक और कथा के अनुसार सतयुग में राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए गुरु वशिष्ठ के मार्गदर्शन में पुत्रकामेष्टी यज्ञ किया था। जिसे ऋषि रिंगी ने किया था। यज्ञ समाप्त होते ही अग्निदेव स्वयं यज्ञ कुंड से खीर का पात्र लेकर प्रकट हुए और तीनों रानियों को बांट दिए। उसी समय एक बाज ने रानी कैकेयी के हाथ से खीर छीन ली और मुंह में भरकर उड़ गई। जब चील उड़ी तो देवी अंजनी के आश्रम से गुजरी और उस समय अंजनी ऊपर देख रही थी। खीर का एक हिस्सा अंजनी के मुंह में गिर गया और उसने अनजाने में खीर निगल ली। जिससे वह गर्भवती हो गई और उसने चैत्र मास की पुण्यतिथि पूर्णिमा पर बजरंगबली को जन्म दिया। बजरंगबली भगवान श्री राम के अनन्य भक्त बन गए और हमेशा ब्रह्मचारी रहे।
हनुमानजी ने ही लंका मे जाकर सीता माता का पता लगाया था।उन्हौने ही श्री राम की सुग्रीव से दोस्ती करवाई थी। हनुमानजी ने ही संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राण बचाये थे।
हनुमान जी का नाम लेने से भूत पिशाच दूर भाग जाते है। एकबार बचपन में वह सूर्य को ही निगल गये थे।
हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए किसी भी स्थानीय बंदर को केला खिलाएं। यदि आस-पास कोई बंदर नहीं है, तो आप इसके बजाय हनुमान की मूर्ति को केले चढ़ा सकते हैं। यदि आप मंदिर में प्रसाद चढ़ाते हैं, तो मंदिर आपको प्रसाद, लड्डू नामक मिठाई, गुड़हल या चमेली जैसे फूल, नारियल, तिलक और पवित्र जल अर्पित करसकते है। हनुमानजी बहुत ही शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता है।
30 Days Festival Competition हेतु रचना
नरेश शर्मा " पचौरी "
Gunjan Kamal
18-Nov-2022 08:53 AM
शानदार
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Rafael Swann
14-Nov-2022 11:54 PM
Umda 👏🌹
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Supriya Pathak
12-Nov-2022 12:50 AM
Shaandar💐👌🌸
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